वाराणसी BHU में मनोचिकित्सकों ने कहा मानसिक रोगो से छुटकारे के लिए रोज हंसना जरूरी
वाराणसी BHU काशी हिंदू विश्वविद्यालय में मनोचिकित्सकों के चल रहे सेमिनार में डॉक्टर डॉ अनु कांत मित्तल द्वारा बताया गया कि मानसिक रोगो से छुटकारे के लिए जरूरी है कि रोज हंसना जीवन का एक अंग होना चाहिए , काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन में आज शनिवार को इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्राइवे साइकेट्रिस्ट के वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे दिन देश-विदेश से आये मनोचिकित्सकों ने मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं के बारे में विचार विमर्श किया , कोलकाता से आए डॉक्टर भास्कर मुखर्जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि अनुवांशिक बीमारी में मानसिक रोगों का बहुत रोल होता है , अमेरिका से आए डॉक्टर मां चेरी केशवन ने कहा कि लंबे समय तक स्वस्थ रहने के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ रहना आवश्यक है , तो वही ऑस्ट्रेलिया के डॉक्टर रसल डिसूजा ने कार्य क्षेत्र में होने वाली मानसिक बीमारियों के बारे में कहा कि मानसिक तकलीफों के कारण दिमाग में अलग रसायन का कम या ज्यादा होना मनुष्य की दिनचर्या पर निर्भर है , आज हमारे पास m.r.i. के अलावा बहुत नए यंत्र हैं , इसके द्वारा यह देखा गया है कि दिमाग के कई भागों में खून बहने की कमी से भी मानसिक संतुलन पर असर पड़ता है , वही डॉ अनु कांत मित्तल ने कहा कि शरीर एवं मन को आराम देने के लिए और मानसिक बीमारी से छुटकारा पाने के लिए हंसना रोज के जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग होना चाहिए , इस अवसर पर डॉक्टर राजेश नागपाल , डॉ अनु कांत मित्तल आदि लोग उपस्थित थे , अतिथियों का स्वागत देवा फाउंडेशन के निदेशक डॉक्टर वेणु गोपाल झवर एवं मोहनी झवर ने किया ,