प्रयागराज के महाकुम्भ मे सैकड़ो महिलाओ ने नागा सन्यास की दीक्षा ली, सबसे पहले नागा सन्यास लेने वाली महिलाओ को गंगा स्नान करा कर उनको पिण्डान कराया गया, पिण्डादान भी परिवार का और खुद का भी किया गया, उसके बाद विजया संस्कार किया गया, उसी दिन नागा सन्यासी बनने वाली महिलाओ को सारी परम्परा के बाद जूना अखाड़ा के आचार्य महा मंडलेश्वर स्वामी अवधेशा नन्द महाराज ने सभी महिलाओ को गुरु दीक्षा देकर उन्हें सन्यासी बनाया, दीक्षा संस्कार मे मौजूद रही जूना अखाड़े की महामंडलेश्वर लामवी विश्वरी माता ने बताया की विजया संस्कार के बाद सन्यास धारण करने वाली महिलाओ को देर रात गंगा स्नान करा कर गुरु के सामने दीक्षा लेनी होती है, और सन्यास दीक्षा के बाद वो सिर्फ भगवा रंग का वस्त्र धारण करके धर्म के मार्ग पर ही चलती है, सन्यास के बाद उनको सारा मोह त्यागना पड़ता हैँ, सन्यास की अनुभूति सामाजिक खुशी से कहीं ज़्यादा है, उन्होंने बताया की सन्यास लेने वाली सैकड़ो महिलाओ में विदेशी महिला भी शामिल है,